कुछ इस तरह फैले हैं अब मेरी मोहब्बत के दायरे
तुम मुझसे दूर जाना भी चाहो तो जा ना सकोगी।
यूँ रह गए मेरी यादो के निशान तुम्हारे ह्रदय पटल पर,
भुलाना भी चाहोगी मुझे तो भुला ना सकोगी।
ऐसे तय किये हैं ये सफ़र साथ साथ हमने
तुम कभी हाथ छुड़ाके जाना भी चाहो तो जा ना सकोगी।
चाहत की कसम कुछ यूँ चाहा है मैंने तुझे बरसो से
मुझे चाह के अब तुम किसी और को चाह ना सकोगी।
बंधी है तुझसे मेरे रिश्ते की डोर ऐसे
तुम लाख चाहो इस रिश्ते को तुड़ा ना सकोगी।