कहाँ खोजूँ वो सुकून के पल जो गुम गएँ हैं तेरी चाहत में कहीं
कहाँ पाऊ वो ख़ुदा जो खो गया है तेरी इबादत में कहीं ...
हैं तुझको गिले बहुत ,कुछ मुझको भी तो हैं
कहाँ ढूँढु वो शिकवे मेरे जो खो गएँ हैं तेरी शिकायत में कहीं ....
कहाँ पाऊ वो ख़ुदा जो खो गया है तेरी इबादत में कहीं ...
हैं तुझको गिले बहुत ,कुछ मुझको भी तो हैं
कहाँ ढूँढु वो शिकवे मेरे जो खो गएँ हैं तेरी शिकायत में कहीं ....