देखें हैं मेरे नैनों ने जो
...स्वप्न तुम्हारे हैं
लिखती है जो कलम
मेरी...शब्द तुम्हारे हैं
सत्य है की मेरा अस्तित्व
है तुमसे
जीवन मेरा बंधा है तुमसे
क्या हूँ मैं तुम्हरे बिन
प्रिये
जियें हैं मैंने जो अब तक
...पल तुम्हारे हैं
लिखती है जो कलम
मेरी...शब्द तुम्हारे हैं
ये संसार क्या जाने प्रेम
की बातें
जहाँ तय करतें है भाग्य धर्म
और जातें
प्रेम के रंग में रंगा हूँ
मैं
मेरे ह्रदय से ना छूटे...ये
रंग तुम्हारे हैं
लिखती है जो कलम
मेरी...शब्द तुम्हारे हैं
कभी बनता हूँ मैं, कभी
मिटता हूँ
कभी गिरता हूँ मैं, कभी
संभलता हूँ
तुम्हारी स्म्रतियो का लिए
सहारा
बढ़ा हूँ जिस पथ पर ...उस पर
पदचिन्ह तुम्हारे हैं
लिखती है जो कलम
मेरी...शब्द तुम्हारे हैं
कभी हारा हूँ मैं जीवनरण
में, कभी टूटा हूँ
कभी आगे बढ़ा हूँ, कभी पीछे
छूटा हूँ
कभी जो अंधियारी रात आई है
मेरे जीवन मे आए जो...सवेरे
तुम्हारे हैं
लिखती है जो कलम
मेरी...शब्द तुम्हारे हैं
देखें हैं मेरे नैनों ने जो
...स्वप्न तुम्हारे हैं
लिखती है जो कलम
मेरी...शब्द तुम्हारे हैं