कुछ हसरतें पूरी हुई
हैं मेरी , मेरे अरमानों की बरसात अभी बाकि है
अभी से महफ़िल ख़त्म मान
ली तुमने , मेरी बात अभी बाकि है
छोड़कर चल दिए अभी से
तुम मेरा साथ
अभी तो मेरे हमसफ़र सारी
रात बाकी है
मेरे अरमानों की बरसात
अभी बाकि है
ये चंद हसी लम्हें जो
गुजारें हैं तारों की छाव में
ये तो कुछ भी नहीं ,
मेरे इश्क की सोगात अभी बाकि है
मेरे अरमानों की बरसात
अभी बाकि है
तुम जो कह दो तो
गुनगुनाता जाऊ यूँ हि मै सदा
सुने हैं अब तक जो
तुमने अधूरे से, मेरे जज्बात अभी बाकि हैं
मेरे अरमानों की बरसात
अभी बाकि है
दूर कहीं चले इस धरती
से, इस अम्बर से हम दोनों
कुछ झूठे से हि सही
,मेरे ख़यालात अभी बाकि हैं
मेरे अरमानों की बरसात
अभी बाकि है
चंद लफ्जो में क्या बयाँ करू एहसास इस दिल-ए-आवारा के
कुछ लिखे तो हैं मैंने
तेरे नाम से, अल्फाज़ मेरे अभी बाकि है
मेरे अरमानों की बरसात
अभी बाकि है
तुम कहो इसे दीवानगी
मेरी या पागलपन कहो
अधूरी सी है कहानी ये
मेरी तुम्हारी, एहसास मेरे अभी बाकि हैं
मेरे अरमानों की बरसात
अभी बाकि है
'अभी से महफ़िल ख़त्म मान ली तुमने , मेरी बात अभी बाकि है'
जवाब देंहटाएंand
'कुछ लिखे तो हैं मैंने तेरे नाम से, अल्फाज़ मेरे अभी बाकि है' are awesome lines!
बहुत-बहुत धन्यवाद सर !!!
हटाएंसुंदर रचना.
जवाब देंहटाएंधन्यवाद् सर
हटाएंBahut hi anmol rachna..maja aa gaya :)
जवाब देंहटाएंThank u...keep visiting my Page!!!
हटाएंBeautiful Himanshu! This came as a soothing serein! Keep it up dear . . . .
जवाब देंहटाएंThank you Sir...
हटाएंawesome lines..
जवाब देंहटाएंThank You...
हटाएंमेरा प्यार
जवाब देंहटाएंवह तुम्हारी स्मृति मे
पड़ा रहेगा महफ़ूज़
जैसे मनुष्य की स्मृति में
पड़ा रहती हैं
नदियाँ और तितलियाँ
फूल और चाँद
सुन्दर अकल्पनीय रचना...