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सोमवार, 23 जनवरी 2012

तुम दूर जा ना सकोगी

कुछ इस तरह फैले हैं अब मेरी मोहब्बत के दायरे
तुम मुझसे दूर जाना भी चाहो तो जा ना सकोगी। 
यूँ रह गए मेरी यादो के निशान तुम्हारे ह्रदय  पटल पर,
भुलाना भी चाहोगी मुझे तो भुला ना सकोगी।

ऐसे  तय किये हैं ये सफ़र साथ साथ हमने 
तुम कभी हाथ छुड़ाके जाना भी चाहो तो जा ना सकोगी।
चाहत की कसम कुछ यूँ चाहा है मैंने तुझे बरसो से
मुझे चाह के अब तुम किसी और को चाह ना सकोगी।

बंधी  है तुझसे मेरे रिश्ते की डोर ऐसे
तुम लाख चाहो इस रिश्ते को तुड़ा ना सकोगी।






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