मन बावरा ,बावरी सी हसरतें
दूर दूर तक जाये बाहें पसराये
यूँ ही हर पल करे कसरतें
मन बावरा , बावरी सी हसरतें
कभी कागज की नाव बनाकर सपने साकार करे
कभी यूँ ही बिन छुए खयाली चित्रों में रंग भरे
कभी कही रुके पल भर को
कभी हवाओं से बातें करे
कभी उन्माद में उछला फिरे
कभी किसी सुन्दर ख्याल में
रात भर बदले करवटें
मन बावरा, बावरी सी हसरतें
कभी हो उदास यूँ ही गुम सुम सा हो जाता है
कभी किसी दूसरे की खुशियों की खातिर खुद को भूल जाता है
बजे कभी दूर जो मीठी सी धुन
सुरों पे खुद ही झूम जाता है
तो कभी अपनी ही धुन में खोकर
दुनिया की सुध बुध खो जाता है
कभी यूँ ही खुद से खुद की कर बैठता है शिकायतें
मन बावरा, बावरी सी हसरतें
कभी प्रेम में पागल हुआ दर दर घूमता है
कभी दम से अपने सफलता के शिखर चूमता है\
कभी कुछ कर गुजने को हर बाधा से जूझता है
बच्चे सा कभी खुद से रूठता भी है
फिर सोच के कुछ खुद को मनाता भी है
कभी गुनगुनाता है बोल सुने-सुने
कभी कहता है अनकही सी कहावतें
मन बावरा, बावरी सी हसरतें
कभी मांगता है मन्नतें उनके लिए जो इसके अपने नहीं
कभी अपनों से बैर रखता है यूँ ही
जो घट चूका है न जाने कब का कभी उसमे ही जीता है
याद करता है किसी मीत को घूंट आसुओ के पीता है
कभी देखकर उदास किसी को खुद भी उदास हो जाता है
कभी बनके सबब किसी की मुस्कराहट का, खास बन जाता है
कभी सिखाता है दूसरो को जीने का ढंग
कभी खुद ही जीता है मरते मरते
मन बावरा, बावरी सी हसरतें
कभी जाना चाहता है दूर जहाँ कोई ना हो
कभी चाहता है पास हर कोई हो
बैठे -बैठे अजीब सी उलझनों में डालता है
पर उलझनों से उबारता भी है
बस इसकी इन्हीं आदतों को सोच कर इसको बार-बार देता हूँ मै रियायतें
मन बावरा, बावरी सी हसरतें....
Himanshu Rajput
दूर दूर तक जाये बाहें पसराये
यूँ ही हर पल करे कसरतें
मन बावरा , बावरी सी हसरतें
कभी कागज की नाव बनाकर सपने साकार करे
कभी यूँ ही बिन छुए खयाली चित्रों में रंग भरे
कभी कही रुके पल भर को
कभी हवाओं से बातें करे
कभी उन्माद में उछला फिरे
कभी किसी सुन्दर ख्याल में
रात भर बदले करवटें
मन बावरा, बावरी सी हसरतें
कभी हो उदास यूँ ही गुम सुम सा हो जाता है
कभी किसी दूसरे की खुशियों की खातिर खुद को भूल जाता है
बजे कभी दूर जो मीठी सी धुन
सुरों पे खुद ही झूम जाता है
तो कभी अपनी ही धुन में खोकर
दुनिया की सुध बुध खो जाता है
कभी यूँ ही खुद से खुद की कर बैठता है शिकायतें
मन बावरा, बावरी सी हसरतें
कभी प्रेम में पागल हुआ दर दर घूमता है
कभी दम से अपने सफलता के शिखर चूमता है\
कभी कुछ कर गुजने को हर बाधा से जूझता है
बच्चे सा कभी खुद से रूठता भी है
फिर सोच के कुछ खुद को मनाता भी है
कभी गुनगुनाता है बोल सुने-सुने
कभी कहता है अनकही सी कहावतें
मन बावरा, बावरी सी हसरतें
कभी मांगता है मन्नतें उनके लिए जो इसके अपने नहीं
कभी अपनों से बैर रखता है यूँ ही
जो घट चूका है न जाने कब का कभी उसमे ही जीता है
याद करता है किसी मीत को घूंट आसुओ के पीता है
कभी देखकर उदास किसी को खुद भी उदास हो जाता है
कभी बनके सबब किसी की मुस्कराहट का, खास बन जाता है
कभी सिखाता है दूसरो को जीने का ढंग
कभी खुद ही जीता है मरते मरते
मन बावरा, बावरी सी हसरतें
कभी जाना चाहता है दूर जहाँ कोई ना हो
कभी चाहता है पास हर कोई हो
बैठे -बैठे अजीब सी उलझनों में डालता है
पर उलझनों से उबारता भी है
बस इसकी इन्हीं आदतों को सोच कर इसको बार-बार देता हूँ मै रियायतें
मन बावरा, बावरी सी हसरतें....
Himanshu Rajput
सुंदर रचना हिमांशु,सरसता,लय बद्धता सब बरकरार है...
जवाब देंहटाएंबावरा मन देखने चला एक दुनिया,,,गीत याद आ गया।
Thank you mam..
हटाएंLovely!:)
जवाब देंहटाएंThank you
हटाएंThank you...
जवाब देंहटाएंbeautifull..
जवाब देंहटाएंThank you...
जवाब देंहटाएंawsum ..sumthng close to my heart
जवाब देंहटाएंThank you Vaishali...keep visiting my blog
हटाएंVery Nice!!
जवाब देंहटाएंThank you Vineet...
हटाएंvery beautiful...
जवाब देंहटाएंwww.rajnishonline.blogspot.com
Thank you Rajnish...
हटाएंawesome variety marks the goings on of your mind !!!!!!!!
जवाब देंहटाएंThank you Indu...
हटाएंniceone man....very nice.
जवाब देंहटाएंthank you Vikas...
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