कहीं दूर किसी अमीरजादे की शादी
में बजते डी जे की आवाज में
पास में भूखे पेट रोते-चिल्लाते गरीब
के बच्चे की आवाज दब जाती है...आखिर क्यूँ
क्यूँ दिन के उजाले में किसी युवा शहीद की
बेवा की तन्हा रातों की पुकार चुप हो जाती है ...आखिर क्यूँ
क्यूँ होता है ऐसा कि
अन्नदाता जो है खुद ही भूखा तड़पता
मौत को गले लगा लेता है
जो मेहनत करता है वो ही जीता है मरते-मरते...आखिर क्यूँ
क्यूँ कोई बन बैठता है सपनो का सौदागर
और किसी को सपने देखने का हक भी नहीं मिल पता है...आखिर क्यूँ
कोई बना लेता है
सोने के बड़े-बड़े बंगलें यहाँ
कोई जिंदगी बिता देता है
एक छोटी सी छत के इंतिजार में...आखिर क्यूँ
किसी की आवाज को सुनने को दुनिया
पलकें बिछाए रहती है
किसी मजबूर की आवाज कोई एक पल को भी नहीं सुनाता...आखिर क्यूँ
कोई पल में बन बैठता है जहाँ का मालिक यहाँ
कोई अपनी ही दो गज जमीन पाने को
न्याय के घर में दम तोड़ देता है...आखिर क्यूँ
में बजते डी जे की आवाज में
पास में भूखे पेट रोते-चिल्लाते गरीब
के बच्चे की आवाज दब जाती है...आखिर क्यूँ
क्यूँ दिन के उजाले में किसी युवा शहीद की
बेवा की तन्हा रातों की पुकार चुप हो जाती है ...आखिर क्यूँ
क्यूँ होता है ऐसा कि
अन्नदाता जो है खुद ही भूखा तड़पता
मौत को गले लगा लेता है
जो मेहनत करता है वो ही जीता है मरते-मरते...आखिर क्यूँ
क्यूँ कोई बन बैठता है सपनो का सौदागर
और किसी को सपने देखने का हक भी नहीं मिल पता है...आखिर क्यूँ
कोई बना लेता है
सोने के बड़े-बड़े बंगलें यहाँ
कोई जिंदगी बिता देता है
एक छोटी सी छत के इंतिजार में...आखिर क्यूँ
किसी की आवाज को सुनने को दुनिया
पलकें बिछाए रहती है
किसी मजबूर की आवाज कोई एक पल को भी नहीं सुनाता...आखिर क्यूँ
कोई पल में बन बैठता है जहाँ का मालिक यहाँ
कोई अपनी ही दो गज जमीन पाने को
न्याय के घर में दम तोड़ देता है...आखिर क्यूँ
Soulful & so true!!
जवाब देंहटाएंthank you Vineet...
जवाब देंहटाएंFantastic :)
जवाब देंहटाएंThank you...keep visiting my blog
जवाब देंहटाएंbeautifully written himanshu!
जवाब देंहटाएंThank you...
हटाएंVery noble thoughts penned down in a beautiful way!!
जवाब देंहटाएंThank you...
जवाब देंहटाएंtouched :) v thoughtful !!!
जवाब देंहटाएंthank you...
हटाएंसराहनीय | लिखते रहिए हिमांशु |
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